साँसों का आना जाना ही जीवन है
तो हाँ मै जिन्दा हूँ ...
लबों का मुस्कुराना ही गर हँसी है
तो हाँ मै खुश हूँ ...
महक दिल जलने की गर खुशबू है
तो हाँ मै गुलशन हूँ ...
ढहर जाना ही गर मेरा मुकद्दर है
तो हाँ मै मंज़िल हूँ ...
खुदी को रोंदना गर मेरी फितरत है
तो हाँ मै ज़ालिम हूँ ...
साँसों का आना जाना ही जीवन है
तो हाँ मै जिन्दा हूँ ...
तो हाँ मै जिन्दा हूँ ...
लबों का मुस्कुराना ही गर हँसी है
तो हाँ मै खुश हूँ ...
महक दिल जलने की गर खुशबू है
तो हाँ मै गुलशन हूँ ...
ढहर जाना ही गर मेरा मुकद्दर है
तो हाँ मै मंज़िल हूँ ...
खुदी को रोंदना गर मेरी फितरत है
तो हाँ मै ज़ालिम हूँ ...
साँसों का आना जाना ही जीवन है
तो हाँ मै जिन्दा हूँ ...
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज के ब्लॉग बुलेटिन पर |
ReplyDeleteबेहतरीन .....
ReplyDeleteGood one
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